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घरेलू नौकरानी को मिला लंड

Posted on December 15, 2025 by Sumithra Reddy

चूत चूत Xxx कहानी में जब नौकरानी ने मालकिन को असिस्टेंट से चुदती देखा तो उसकी चूत भी लंड मांगने लगी. उधर असिस्टेंट भी सेक्सी नौकरानी को देख कर लंड सहला रहा था.

दोस्तो, आप कंपनी के सहकर्मियों के बीच हुए सेक्स के खेल से परिपूर्ण सेक्स कहानी को पढ़ रहे थे.
पिछली कहानी

में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मीरा ने अपने मातहत अशोक के साथ सेक्स कर लिया था. जबकि अशोक से निचले दर्जे की महिला कर्मी कांता अशोक के पौरुष दंड को देख कर चुदासी हो गई थी.

अब आगे चूत चूत Xxx कहानी:

कांता पूरी रात करवटें बदलती रही.
उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
वह किसी तरह अपनी यौन इच्छा की बेचैनी को काबू में करना चाह रही थी और ये कर पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था.

अब सुबह हो गई थी.
मैं उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगी.

मीरा पिछली रात जो कुछ भी हुआ, उससे काफी खुश थी क्योंकि शायद अब उसे यौन सुख पाने की लत लगने लगी थी.
तभी उसे याद आया कि उसे एक जरूरी ईमेल करना था, जिसे वह पिछली रात करना भूल गई थी.

मैं जल्दी से नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और अलमारी से कपड़े निकाल कर तैयार होने लगी.
उसने अशोक को भी उठाने की कोशिश की, पर वह नहीं उठा तो मीरा रूम से बाहर निकल आई.

बाहर उसने देखा कि कांता किचन में कुछ काम कर रही थी.

कांता- बीबीजी, आप उठ गईं और ये इतनी जल्दी तैयार होकर आप कहां जा रही हो?

मैं- कांता, मुझे बहुत जरूरी काम है, मैं ऑफिस जा रही हूँ. अशोक जब उठ जाए तो उसे बता देना कि मैं ऑफिस चली गई हूँ. उसे यह भी बोल देना कि वह भी तैयार होकर ऑफिस आ जाए.

इतना कह कर मैं घर से निकल गई.
मैंने घर के बाहर जाकर ऑटो ली और ऑफिस के लिए निकल गई.

अब इधर घर में कांता और अशोक ही अकेले थे.
कांता ने रूम में जाकर देखा तो अशोक अभी भी अर्धनग्न अवस्था में सो रहा था.

कांता उसे कुछ देर तक निहारती रही.
फिर कुछ देर बाद वह कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में आ गई और बाथरूम में जाकर नहाने लगी.

नहा कर निकलने के बाद उसने अपनी साड़ी पहनी, पर इस बार उसे अपनी साड़ी कुछ इस तरह पहनी कि उसके अंगों का प्रदर्शन हो.
ब्लाउज़ भी उसने एक बड़े गले का पहना, जिसमें से उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे … जैसे अभी उछल कर बाहर आ जाएंगे.
उसने अपनी साड़ी को अपनी नाभि से कुछ 2-3 इंच और नीचे ही बांधी थी, जिससे उसकी कमर और नाभि भी साफ साफ दिखाई देने लगी थी.

फिर वह झाड़ू लेकर मीरा के कमरे में गई और अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा कर नीचे बैठ कर झाड़ू लगाने का नाटक करने लगी.

कुछ देर में अशोक की नींद खुल गई, वह अपने बिस्तर पर देखने लगा.
मीरा वहां नहीं थी.
फिर अशोक की नज़र कांता पर पड़ी.

कांता इस हालत में बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
अशोक की नज़र तो सीधे कांता के ब्लाउज़ पर ही टिक गई, जिसमें से कांता के बूब्स बिल्कुल निकलने को जैसे तैयार ही थे.

अशोक की वासना से भरी नज़र कांता के मम्मों में ही अटक गई और वह एकटक उसे देखने लगा.

अशोक का कांता को इस तरह देखना हुआ, तो कांता ने उसकी वासना भरी नजर को भाँप लिया.
वह अशोक से बोली- अरे साहब जी, आप उठ गए!
इतना कह कर वह थोड़ा रुक सी गई.

उधर अशोक के कानों में जूं भी नहीं रेंगी.
अशोक अभी भी कांता को ही देखे जा रहा था.

कांता ने फिर से जोर से आवाज़ लगा कर कहा- साहबजी क्या हुआ? आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो?
अब जाकर अशोक कुछ होश में आया और कांता से बोला- कांता, मीरा मैडम कहां हैं?

कांता- साहब, मीरा मैडम तो सुबह सुबह ही तैयार होकर ऑफिस चली गई हैं.
अशोक- अरे इतनी जल्दी कैसे चली गईं!

कांता- साहेब, बीबीजी बोल रही थीं कि उन्हें ऑफिस में कुछ काम है … इसलिए वे जल्दी चली गई हैं और बीबीजी ने कहा है कि आप भी तैयार होकर सीधे ऑफिस आ जाएं.
अशोक- ओके ठीक है!

कांता- साहेब आप नहा कर तैयार हो जाओ, मैं आपके लिए नाश्ता लगा देती हूँ.

अशोक- मेरे कपड़े कहां हैं?
कांता- साहेब, आप नहाने जाइए … मैं अभी लेकर आती हूँ.

अशोक नहाने के लिए बाथरूम में चला गया और कांता ने कपड़े लाकर रूम में रख दिए.
वह अशोक के लिए नाश्ता बने किचन में लग गई.

कुछ देर बाद अशोक नहा-धो कर रूम से बाहर आया और डायनिंग टेबल पर बैठ गया.

कांता नाश्ता लेकर आई और जैसे ही वह अशोक के सामने नाश्ता रखने को हुई … उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया.
उसके ब्लाउज़ में से बाहर निकलते बूब्स अशोक के सामने आ गए.

अशोक कांता को फिर से घूर घूर कर देखने लगा.
वह धीरे से बुदबुदा कर बोला- क्या माल है ये लौंडिया … साली एक बार मिल जाए तो इसकी चुत चोद कर मज़ा ही आ जाएगा!

कांता- क्या कुछ कहा साहेब आपने?
अशोक- नहीं नहीं …

फिर कांता ने अपना पल्लू ठीक किया और बोली- माफ करना साहेब!
अशोक- कोई बात नहीं.

अशोक ने कांता को अपने लौड़े के नीचे लेने की सोच को अपने मन में रखते हुए ही अपना नाश्ता खत्म किया और उठ गया.
वह कांता से ये कह कर घर से निकला कि वह ऑफिस जा रहा है.

पर कांता अशोक को जाने नहीं देना चाहती थी, वह चाहती थी कि अशोक ने जो मस्ती कल रात मीरा के साथ की थी, वह मस्ती आज अशोक उसके साथ करे.

पर इसके लिए वह क्या करे, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था!

तभी वह पैर में मोच आने का नाटक करने की बात सोचने लगी.
वह जल्दी से किचन में गई और एक स्टूल पर खड़ी होकर किचन के ऊपर बने रैक से कुछ निकलने का नाटक करने लगी.

इतने में अशोक घर स निकलने को हुआ ही था कि कांता ने तेज आवाज के साथ गिरने का नाटक किया.
वह जोर जोर से चिल्लाने लगी.

कुछ गिरने और कांता के चिल्लाने की आवाज़ सुन कर अशोक भागता हुआ किचन में आया.

उसने देखा कि कांता फर्श पर गिरी हुई है.
उसके वस्त्र भी अस्त व्यस्त हो गए थे.

अशोक ने उसे जमीन पर गिरा देख कर उससे पूछा- अरे क्या हुआ … तुम गिर कैसे गई?
कांता कराहती हुई बोली- मैं वह ऊपर से कुछ सामान निकाल रही थी तो मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गई … आहहह … आहह बहुत दर्द हो रहा है!

अशोक ने कांता को उठाने की कोशिश की तो कांता बोली- आह मुझसे उठते नहीं बन रहा है … लगा पैर में मोच आ गई है!
अब अशोक ने कांता को गोद में उठा लिया और कमरे में ले गया.
उधर अशोक ने उसे बेड पर लिटा दिया.

अशोक ने कांता से पूछा कि कहां पर मोच आई है?
कांता- आह साहेब लगा कि घुटने में है बहुत दर्द हो रहा है!

अशोक- दिखाओ … कहां दर्द है … मुझे देखना पड़ेगा!
कांता- आह आप खुद ही देख लीजिए!

अशोक कांता की साड़ी धीरे से ऊपर उठाई और वह कांता से पूछने लगा कि उसे दर्द कहां हो रहा है?
अन्दर कांता की मलाईदार सफेद मरमरी टांगें देख कर अशोक की सांसें भी तेज हो रही थीं.

अशोक ने धीरे धीरे करके कांता की साड़ी को उसकी जांघों के ऊपर तक उठा दी … फिर कांता ने उसे बताया कि उसके घुटने के साथ साथ टांगों के जोड़ में भी मोच व चोट आई है.

अशोक ने कहा- इस पर कुछ लगाना पड़ेगा!
वह कांता से पूछने लगा कि कोई स्प्रे वगैरह है घर में?

कांता ने उसे बताया कि किचन में एक फर्स्टएड बॉक्स है, उसी के अन्दर स्प्रे होगा.
अशोक किचन में गया और ले आया.

जब अशोक आया, तो उसने देखा कि कांता की साड़ी कुछ और ऊपर तक उठी हुई है.
उसकी साड़ी उतनी ऊपर हो गई है कि उसकी पैंटी तक दिखने लगी है.

अशोक कांता के घुटने पर स्प्रे लगा कर अपने हाथों से उसकी मसाज करने लगा.
कांता अपनी आंखें बंद कर अशोक के हाथों की मसाज का मज़ा लेने लगी.

जब एक गैर मर्द के हाथ कांता ने अपने जिस्म पर चलते महसूस किए तो उसकी भी सांसें तेज होने लगीं.

कांता को इस हालत में देख कर और उसके घुटने की यूँ मालिश करते हुए अशोक के अन्दर के भी जज़्बात जागने लगे.

वह धीरे धीरे अपने हाथों को ऊपर ले जाता गया और अब अशोक के हाथ कांता की जांघों से होते हुए उसकी पैंटी तक पहुंच गए.
अशोक पैंटी के ऊपर से ही कांता की चुत को मसलने लगा.

अशोक ने देखा कि उसकी इस हरकत पर कांता उसका समर्थन कर रही है तो अशोक उससे उठने का बोला.

जैसे ही कांता ऊपर उठी, उसने उसे अपने सीने से लगा लिया.
वे दोनों एक दूसरे से चिपक गए.

अशोक ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वे दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

कुछ देर तक एक दूसरे को किस करने के बाद कांता अशोक से बोली- साहेब, कल रात मैंने आप और बीबीजी को प्यार करते हुए देखा था. आप दोनों इसी बिस्तर पर थे और आप दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे. पर आप दोनों दरवाज़ा लॉक करना शायद भूल गए थे, जब मैंने हल्के से दरवाज़ा खोला तो देखा था कि आप दोनों लगे हुए हो.

अशोक समझ गया कि इसने रात की चुदाई देख ली है.

कांता बड़बड़ाए जा रही थी- आह साहेब, तभी से ही मेरे तन में आग लगी हुई है. मैं बहुत तड़प रही हूँ. मेरे पति मेरी इस तड़प को शांत नहीं कर पाते हैं, बस दो ही मिनट में उनका रस निकल जाता है और वे शांत होकर सो जाते हैं. मैं तड़पती रह जाती हूँ साहेब … आह मैं बहुत प्यासी हूँ आह. कल रात आप दोनों को उस हालत में देख कर मैं भी तड़प उठी हूँ साहेब … मेरी इस तड़प को अब आप ही शांत कर सकते हो … आप मेरी प्यास बुझा दीजिए!

अशोक- हां जरूर कांता, आज मैं तुम्हारी इस तड़प को मिटा दूंगा.

अशोक ने अपना फोन निकाला और मीरा को कॉल करके बोल दिया कि उसे उसके घर जाना है तो आज वह ऑफिस थोड़ा लेट आएगा.
जैसे ही अशोक ने फोन कट किया, कांता खुश होकर अशोक से चिपक गई.

कांता- साहेब, आज आप अपने हाथ से मेरे कपड़े उतारिये और मैं अपने हाथ से आपके उतारूंगी.

कांता ने पहले अशोक की शर्ट उतारी और फिर जैसे ही अशोक ने हाथ ऊपर किये तो उसने अशोक की बनियान भी निकाल दी.
अब अशोक ऊपर से नंगा हो चुका था.

दोनों फिर से एक दूसरे की बांहों में लिपट गए.
फिर धीरे से अशोक ने कांता के बूब्स के ऊपर हाथ रखे और उन्हें दबाने लगा.

उसने अब उसके ब्लाउज़ को भी उतार दिया और उसके पूरे बदन को चूमने लगा.

कुछ ही पलों में अशोक ने कांता को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को भी निकाल दिया.
अब कांता अशोक के सामने बिस्तर पर सिर्फ ब्रा और पैंटी में पड़ी हुई थी.

अशोक कांता के ऊपर लेट गया और उसके बदन को चूमते हुए उसके बदन से खेलने लगा.
अशोक कभी कांता के बूब्स को दबाता, तो कभी उसकी नाभि को चूमता.
कांता भी इस सब का भरपूर आनन्द ले रही थी.

फिर कांता उठी और अशोक की बेल्ट को खींच कर खोल दिया. उसने पैंट का बटन व ज़िप खोली और पैंट को उतार दिया.

अब अशोक भी सिर्फ अंडरवियर में था और उसका लंड पूरी तरह से तन चुका था.
कांता ऊपर से हाथ फेरने ओर किस करने लगी.

ऐसा करते करते उसने लिंग को बाहर निकाल लिया और उसे मुँह में लेकर चूसने लगी.
बहुत देर तक कांता अशोक के लंड को चूसती रही.

कुछ देर बाद अशोक ने कांता की ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया.

फिर अशोक कांता के एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

कांता को तो मानो लज्जत मिलने लगी थी.
वह आह आह करती हुई अपने दूध अशोक के मुँह में देने लगी और उससे कहने लगी- चूस लो आह साहेब मेरे दूध मेरे पति ने आजतक चूसे ही नहीं है. आह ये अब तक कुँवारे ही हैं … आह चूसो मेरे साहेब!

काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद अशोक ने कांता की घोड़ी बनने को कहा और उसकी पैंटी उतार कर पीछे से अपना लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया.
लंड लेते ही कांता चीख पड़ी पर जल्द ही वह अशोक के लंड पर खेलने लगी.

अब अशोक मस्त मज़े लेता हुआ कांता की चुदाई कर रहा था.
कांता भी इस चुदाई का भरपूर आनन्द उठा रही थी और जोर जोर से चिल्लाती हुई कह रही थी.

‘आह साहेब आज तो अपने मेरी इच्छा पूरी कर दी है … मैं कब से इसके लिए तड़प रही थी … आह आज मेरी आत्मा को तृप्ति मिल गई है.’

कुछ देर बाद अशोक बिस्तर पर लेट गया और कांता उसके लौड़े के ऊपर आकर बैठ गई.
वह जोर जोर से उछल उछल कर अपनी चुदाई करवाने लगी.

करीब 2 घंटे में दो बार की चुदाई के बाद दोनों अलग हो गए.

फिर कांता ने अपने कपड़े पहने और कमरे से जाने लगी तो अशोक ने अपनी पैंट के जेब से निकाल कर उसे एक हज़ार रुपए दिए.
पर कांता लेने के लिए मना करने लगी.

लेकिन अशोक के जबरदस्ती करने और ये कहने पर कि ये उसे वह खुशी से दे रहा है तो कांता बहुत खुश हुई और उसने रुपये रख लिए.

फिर अशोक भी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया. अशोक जब ऑफिस पहुंचा.

मैं- अशोक इतना टाइम कहां लगा दिया यार!
अशोक- मेम, वह जब मैं सो कर उठा तो आप ऑफिस जा चुकी थीं और मैं ऑफिस ही आ रहा था … पर फिर मैं कुछ काम से अपने घर चला गया था, इसलिए मैं ऑफिस आने में लेट हो गया.

 

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